Add To collaction

हिंदी दिवस प्रतियोगिता


मन क्या चाहे

एक छोटा सुंदर उपवन हो
एक झूला हो और सावन हो
जहाँ अविरल पवन सुगन्धित हो
जो देख के हर्षित ये मन हो

एक स्वच्छ सजीला सा घर हो
खुशियों की छलकती गागर हो
जहाँ प्रेम की नौका बहती हो
स्नेह का ऐसा सागर हो।

सागर के दूसरे छोर पे जब
ये चांद डूबने लगता है
मेरा मन पागल जाने क्यों
तुम्हें ढूंढने लगता है।।



   15
11 Comments

Swati chourasia

22-Sep-2022 04:36 PM

बहुत खूब

Reply

Gunjan Kamal

22-Sep-2022 02:40 PM

बहुत खूब

Reply

बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ

Reply